आम जनता को मोदी सरकार का एक और बड़ा तोहफा, अब दिवाली से पहले मिलेगा ये लाभ
नई दिल्ली :- केंद्र सरकार गेहूं की कीमत कम करने के लिए कई उपाय कर रही है. सरकार गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए आयात शुल्क में कटौती सहित सभी उपायों पर विचार कर रही है. शुक्रवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यह सूचना दी. उन्होंने कहा कि भूटान से भारत को अबतक 80,000 टन चावल की आपूर्ति का अनुरोध मिला है.
गेहूं के निर्यात पर रोक
पिछले साल सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था ताकि घरेलू उपलब्धता और खुदरा बाजारों में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके. सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आटा मिलों और अन्य व्यापारियों को खुले बाजार में गेहूं बेच रही है. विकल्प पर सरकार कर रही विचार चोपड़ा ने संवाददाताओं को बताया कि गेहूं की कीमतें पिछली नीलामी के बाद से बढ़ी हैं. सरकार सभी उपायों पर विचार कर रही है और सही फैसला लेगी. सरकार ने खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मार्च, 2024 तक केंद्रीय पूल से 15 लाख टन गेहूं आटा मिलों, निजी व्यापारियों, थोक खरीदारों और गेहूं उत्पादों के निर्माताओं को बेचने का निर्णय लिया है.
गेहूं उत्पादन घटा
गर्मी की “लू” के कारण कुछ उत्पादक राज्यों में गेहूं उत्पादन घट गया. वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में देश का गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन से 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया. नतीजतन, इस वर्ष सरकारी खरीद लगभग 1.9 करोड़ टन से घटकर 4.3 करोड़ टन रह गई.
चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
गेहूं उत्पादन बढ़ेगा: 2022-23 में खेती के अधिक रकबे और अधिक उपज के कारण गेहूं का उत्पादन 11 करोड़ 27.4 लाख टन होने का अनुमान है. सचिव ने कहा कि भूटान से भारत को अबतक 80,000 टन चावल की आपूर्ति का अनुरोध मिला है. सरकार ने घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल और टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है.