Pitru Paksha: घर में फैली है अशांति तो पितृपक्ष में यहां करे पितरों का श्राद्ध, पितरों को मिलेगी शांति
ज्योतिष :-Pitru Paksha, हिंदू धर्म के अनुसार 29 सितंबर से पूरे भारत में पितृपक्ष शुरू होने वाला है. पितृ पक्ष में लोग अपने घर में श्राद्ध करते हैं. बहुत से लोग हैं जो घर में श्राद्ध करने के अलावा तीर्थ स्थान पर जाकर भी अपने पितरों का पिंडदान करते हैं. देश के बिहार राज्य के बोधगया में पितृपक्ष में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है. पितृपक्ष के दिनों में यहां का महत्व सबसे ज्यादा है. देश के अलग-अलग कोनों से यहां लोग आते हैं और अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं. हमारे देश में केवल गया ही नहीं बल्कि और भी काफी सारे तीर्थ स्थान है जहां पर पितरों का श्राद्ध किया जाता है. आज हम आपको इन्हीं तीर्थ स्थान के बारे में बताने वाले हैं.
जल्द ही भारत में शुरू होने वाला है पितृपक्ष
पितृपक्ष शुरू होने पर अधिकांश लोग अपने घर पर ही पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं. यह लोग घर पर ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो तीर्थ स्थान पर जाकर पिंडदान करते हैं और वहां उनका श्राद्ध करते हैं. भारत में काफी सारी जगह ऐसी हैं जहां जाकर पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्थान गया जी को माना गया है. गया तीर्थ स्थान का महत्व वायु पुराण के साथ गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण में भी बताया गया है. पुराणों में यह स्थान मोक्ष की भूमि और मोक्षस्थली कही जाती है. कहा जाता है कि गया जी जाकर पितरों का श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष के दौरान हर साल यहां लाखों में लोग इकट्ठा होते हैं और अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं.
गया जी के अलावा बद्रीनाथ में भी करते हैं पूर्वजों का श्राद्ध
इसके अलावा बद्रीनाथ में स्थित ब्रह्मपाल घाट पर भी लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए इकट्ठा होते हैं. यहां किया गया पिंडदान गया से भी 8 गुना अधिक फलदाई माना जाता है. इसके अलावा गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर भी पितरों का तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है. इलाहाबाद में पितृपक्ष का बहुत बड़ा मेला लगता है. उत्तराखंड के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक हरिद्वार है, जहां पर पूर्वजों की अस्ति विसर्जन की जाती है. यहां पर भी लोग पितरों का श्राद्ध करने के लिए आते हैं.
अयोध्या और काशी में भी होती है पितरों की पूजा
भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में सरयू नदी के तट पर भी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है. भगवान शिव की नगरी काशी में भी पितरों का श्राद्ध करना परम पुण्य माना गया है. काशी में प्राण त्यागने वाले को यमलोक नहीं जाना पड़ता है. महाकाल की नगरी उज्जैन में बहती शिप्रा नदी पर भी लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं.