Atiq Ahmed Crime History: 17 साल की उम्र में मर्डर कर बना विधायक, जाने दसवीं फेल अतीक अहमद कैसे बना जुर्म की दुनिया का किंग
इलाहाबाद, Atiq Ahmed Crime History :- प्रयागराज के चकिया मोहल्ले के रहने वाले तांगेवाले के बेटे Atiq Ahmed ने कम उम्र में ही जुर्म की दुनिया में अच्छा खासा नाम कमा लिया था. अतीक दसवीं की कक्षा में फेल हो गया और उसके बाद उसने जुर्म की दुनिया (Atiq Ahmed Crime History) में कदम रख दिया. 17 साल की उम्र में अतीक पर पहली हत्या का Case दर्ज हुआ था. इसके बाद भी उसने कई जुर्म किये. चकिया और उसके आसपास के इलाकों में अतीक का खौफ इतना बढ़ गया कि उसने रंगदारी शुरू कर दी. अतीक के पिता रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाया करते थे लेकिन अतीक जल्द ही अमीर और ताकतवर शख्स बनने की इच्छा रखता था.
अतीक से पुराना Gangster चांद बाबा था नाराज
अतीक ने अपने इलाके के आम लोगों में अपना इतना डर पैदा कर दिया था कि जिसके चलते वह चकिया के आसपास के इलाकों में मारपीट और जबरन वसूली का काम करने लग गया. अतीक के इस बढ़ते दबदबे से इलाहाबाद का एक पुराना Gangster Chand Baba बहुत नाराज था. लोग इस इलाके में चांद बाबा के नाम से भी बहुत डरते थे. जहां चांद बाबा रहता था वहां पुलिस अधिकारी भी नहीं जाते थे. पुलिस वालों को अंदर जाने पर बाबा के गुंडे बुरी तरह से पीटते थे. आप पढ़ रहे हैं Atiq Ahmed Crime History In Hindi.
अतीक की ताकत बढ़ाने में पुलिस, प्रशासन और नेताओं का बड़ा हाथ
अतीक चांद बाबा से छोटा था और अपराध की दुनिया में उसे अनुभव भी कम ही था, लेकिन प्रयागराज शहर में चांद बाबा के आतंक को कम करने के लिए पुलिस अधिकारी और उस इलाके के नेताओं ने अतीत को बढ़ावा दिया. चांद बाबा की मौत अतीक के अपराधों की लंबी सूची के पीछे नींव का काम कर रही थी. बता दें कि, अतीक अहमद और चांद बाबा दोनों के द्वारा 1989 में इलाहाबाद बेस्ट सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा गया था. अतीक विधायक बन गया तथा चांद बाबा हार गया. Atiq Ahmed Crime History को जरूर शेयर करें
अतीक के जीतने के कुछ महीनों बाद ही भीड़ भरे बाजार में चांद बाबा का बुरी तरह से कत्ल कर दिया गया. यह एक पुराने गैंगस्टर Chand Baba का अंत तथा नए गैंगस्टर Atiq Ahmed के युग की शुरुआत थी. इसके बाद अतीक ने चांद बाबा के गिरोह के सभी सदस्यों को मार डाला. चांद बाबा को मारने के बाद अतीक का खौफ इतना बढ़ गया कि उसकी आंखों में आंखें डाल कर कोई उससे बात करने की हिम्मत नहीं रखता था. अतीक का खौफ इतना था कि इलाहाबाद वेस्ट सीट से कोई चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं करता था.
अतीक ने कमा लिया था राजनीति की दुनिया में भी नाम
अतीक ने राजनीति की दुनिया में भी इतना नाम कमा लिया था कि एक पर जब 1986 में उसे पुलिस ने पकड़ लिया तो अतीक को छोड़ने के लिए दिल्ली से ताकतवर लोगों ने फोन लगाकर गुहार लगाई. जिसके चलते उस समय के सीएम वीर बहादुर सिंह को भी झुकना पड़ गया था. राजू पाल जोकि अतीक अहमद के दाहिने हाथ के रूप में काम करता था. राजू पाल पर भी 25 मामले दर्ज हो रखे थे.
इलाहाबाद पश्चिमी सीट के लिए अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ़ अशरफ को मैदान में उतारा. उसका भाई अशरफ बसपा के उम्मीदवार राजुपाल से 4000 वोटों से हार गया था. राजू पाल के हाथों अपने भाई की हार को अतीक सहन नहीं कर पाया. राजू पाल की जीत इलाके में अतीक को अपने कब्जे और बाहुबल के लिए एक चुनौती मालूम हुई. इसके बाद 25 जनवरी 2005 को अतीक अहमद के गिरोह ने राजू पाल पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया. पाल के शरीर में 19 गोलियां लगी थी.
अतीक और उसके भाई पर 150 से ज्यादा Case दर्ज
अतीक और उसका भाई दोनों ने भले ही चुनाव में जीत हासिल कर ली हो लेकिन वे कभी भी माफिया Image से बाहर नहीं आ सके. 1986 से 2007 तक उनपर गैंगस्टर एक्ट के तहत 12 से अधिक मामले दर्ज किए गए. अतीक अहमद और उसके गिरोह के सदस्यों के खिलाफ 96 मामले लंबित पड़े है. उसकी गैंग में 120 से भी ज्यादा Shooter थे. अतीक अहमद और उसके भाई पर 150 से भी ज्यादा Case लगे हुए थे. अतीक के सुनियोजित अपराधिक गठजोड़ से पुलिस अधिकारी परेशान हो चुके थे. 23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर भेजने के आदेश दे दिए. 3 जून 2019 को उसे अहमदाबाद की साबरमती जेल में भेज दिया गया. बता दें कि, अतीक को विदेशी हथियारों और विदेशी गाड़ियाँ बहुत पसंद थी. जिसके चलते अतीक के पास दर्जनों विदेशी गाड़ियां रहती थी.