UP Board: सीएम योगी का नया कारनामा, 30 साल में पहली बार नहीं रद्द हुआ कोई पेपर
उत्तर प्रदेश :- उत्तर प्रदेश के बोर्ड एग्जाम में पहली बार ऐसा देखा गया है कि 30 साल में पहली बार कोई भी पेपर रद्द नहीं हुआ है. यूपी में बोर्ड एग्जाम के दौरान नकल की घटनाएं नाम मात्र ही सामने आई. नकल विहीन बोर्ड की परीक्षाएं कराने के लिए पहला प्रयास उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने किया. उन्होंने वर्ष 1992 में नकल अध्यादेश जारी किया था, तब से लेकर उत्तर प्रदेश के हर मुख्यमंत्री ने यूपी में बिना नकल के बोर्ड एग्जाम कराने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे. इस रिकॉर्ड को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस वर्ष तोड़ दिया. पिछले 30 सालों में पहली बार यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में किसी भी परीक्षा को रद्द नहीं करना पड़ा और ना ही कोई परीक्षा दोबारा करानी पड़ेगी.
5 मार्च को खत्म हुई बोर्ड परीक्षाओं मे किसी भी पेपर का प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ, और ना ही किसी भी परीक्षा केंद्र पर सामूहिक नकल कराने की किसी ने हिम्मत की. कुछ परीक्षा केंद्रों पर कुछ छात्र नकल करते हुए पकड़े गए और कुछ केंद्रों पर नकल विहीन परीक्षा कराने के मानकों की अनदेखी हुई. ऐसे मामलों में छात्रों, कक्ष निरीक्षक को, प्रधानाचार्य, प्रबंधकों एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.
54 लाख से ज्यादा छात्रों ने दी बोर्ड की परीक्षाएं
यूपी में नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए किए गए कड़े प्रयासों के चलते किसी के भी खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने की नौबत नहीं आई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नकल विहीन परीक्षा के मिशन की सफलता पर अधिकारियों की सराहना की.
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्य कांत शुक्ला कहते हैं कि राज्य में नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए किए गए प्रबंधों का रिजल्ट सकारात्मक आया है. उनके अनुसार परीक्षा में कुल 58,85,745 छात्रों ने परीक्षा में रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें हाई स्कूल के 31,16,487 छात्र जबकि इंटरमीडिएट के 27,69,258 छात्र शामिल थे. कुल मिलाकर लगभग 54,54,176 छात्रों ने परीक्षा दी तथा 4,31,571 छात्र अनुपस्थित रहे.
नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए किए गए कड़े प्रबंध
इतनी बड़ी संख्या में बैठने वाले छात्र छात्राओं को परीक्षा देने में कोई परेशानी ना हो और साथ ही नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए कड़े प्रबंध किए गए थे. इसके तहत प्रश्न पत्रों के रख-रखाव हेतु स्ट्रांग रूम को प्रधानाचार्य कक्ष से अन्य सुरक्षित कक्ष में रखा गया. इसे खोलने एवं बंद करने की जिम्मेदारी पहली बार जिला अधिकारी द्वारा नियुक्त स्टेटिक मजिस्ट्रेट को दी गई.
साथ ही ऐसा पहली बार देखा गया है कि उत्तर पुस्तिकाओं पर क्यूआर कोड तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद का लोगो लगाया गया था. इसके साथ ही सभी जनपदों में पहली बार सिलाई युक्त उत्तर पुस्तिकाएं तैयार कराई गई. पेपर लीक ना हो जाए इसके लिए पहली बार प्रश्न पत्रों की पैकिंग 4 लेयर में टेंपर्ड प्रूफ लिफाफे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई.
85 के खिलाफ दर्ज हुई FIR
5 मार्च को खत्म में बोर्ड परीक्षाओं में बैठे 54,54,174 छात्र- छात्राओं में से कुल 81 छात्र नकल करते पकड़े गए, जिनमें हाई स्कूल में 51 तथा इंटर में 30 बच्चों को पकड़ा गया. नकल रोकने के लिए किए गए प्रबंधों की अनदेखी करने के मामले में तीन कक्ष निरीक्षकों, 6 प्रधानाचार्य, 4 प्रबंधकों और 14 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. कुल मिलाकर बात करें तो 85 लोगों के खिलाफ FIR की कार्यवाही की गई.