Haj Yatra: इस्लाम धर्म में हज क्यों है इतना अहम, जाने क्या है जन्नत के पत्थर को चूमने और शैतान को पत्थर मारने की परंपरा
नॉलेज डेस्क :- इस्लाम धर्म में हज यात्रा को बहुत अहम माना गया है. मुस्लिम लोग हर साल बड़ी तादाद में हज की यात्रा के लिए रवाना होते हैं. इस साल 2023 की हज यात्रा 26 जून से 1 जुलाई तक होगी. इस साल जो हाजी हज की यात्रा के लिए रवाना होंगे उनकी तादाद लगभग 30 से 40 लाख के बीच में होगी.
हज जाने वाले यात्रियों के लिए बनाए गए हैं कुछ नियम
मक्का मदीना हज यात्रा के लिए हर साल लाखों मुस्लिम रवाना होते हैं लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के समय 2020 में केवल 10,000 यात्री रवाना हुए थे. उसके बाद 2021 में 58,700 यात्री हज के लिए गए थे. 2023 में जो यात्री हज के लिए रवाना होंगे उनके लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं.
हज यात्रा है इस्लाम के 5 स्तम्भों में से एक
सऊदी अरब की ग्रैंड मस्जिद और पैगंबर मस्जिद के जनरल प्रेसिडेंसी ने मेडिकल मास्क पहनना अनिवार्य बताया है. हज और उमराह मंत्रालय की तरफ से हज के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं जिनके अनुसार बिना लपेटा हुआ या बंधा हुआ सामान, प्लास्टिक की थैलियां, कपड़े में बंधा हुआ सामान और ज्यादा वजन न ले जाने के लिए कहा गया है और इसके साथ कोविड टीकाकरण को अनिवार्य बताया गया है. मुस्लिम धर्म के अनुसार हज यात्रा को इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक माना जाता है. अल्लाह की मेहर बनी रहने के लिए एक बार हज यात्रा करना जरूरी मानते हैं.
क्या हैं इस्लाम धर्म के 5 स्तम्भ
सरकारी निकाय हज कमेटी ऑफ इंडिया साल 2022 के अनुसार प्रति व्यक्ति का 3,99,500 रुपए खर्च आया था. सोचने वाली बात है कि इतना खर्च करके यात्री मक्का मदीना जाकर करते क्या हैं. कहते हैं इस्लाम धर्म की बुनियाद पांच स्तंभों पर टिकी है. यह पांच स्तंभ शहादाह, सलात, जकात, रोजा और हज हैं.
सऊदी अरब के मक्का शहर में की जाती है हज यात्रा
रोजा और नमाज को इस्लाम धर्म में हर मुस्लिम के लिए अनिवार्य बताया गया है. जकात उन्हीं लोगों के लिए जरूरी है जिन लोगों के पास धन दौलत है. इसके अलावा हज उन लोगों के लिए जरूरी है जो लोग आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम है. सऊदी अरब के मक्का शहर में हज की यात्रा के लिए जाया जाता है. वहीं पर काबा है जिसकी तरफ मुंह करके हाजी नमाज पढ़ी जाती है.
कब हुई थी हज यात्रा की शुरुआत
कहा जाता है कि साल 628 में पैगंबर मोहम्मद के अनुयायियों द्वारा एक यात्रा शुरू की गई थी जिसमें अनुयायियों की संख्या 1400 थी. इस यात्रा के दौरान पैगंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित करके इसे हज का नाम दिया गया. हज 5 दिन में बकरीद के साथ पूरी होती हैं.
हज के पांच पड़ाव होते हैं
पहले दिन : अल्लाह को याद किया जाता है.
दूसरे दिन : अराफात के पहाड़ी पर कंकड़ इकट्ठा करते हैं.
तीसरे दिन : बकरीद होती है और कुर्बानी देते हैं.
चौथे दिन : मीना पहुंचकर हज यात्री स्तंभों पर सात सात बार पत्थर मारते हैं.
पांचवें दिन : हाजी मक्का की तरफ जाने लगते हैं.
छठे दिन : हाजी पुरुष अपने बाल कटवाते हैं, महिलाएं ट्रिम करवा लेती हैं.
- हज यात्रा में दुनिया के सभी देशों से लोग आते हैं.