Business Idea: इस चावल का भाव होता है 500 रुपये किलो, मालामाल होने के लिए आप भी करे इस किस्म की खेती
केरल, Business Idea :- IMD द्वारा अनुमान लगाया गया है कि केरल में जून के पहले हफ्ते में ही मानसून प्रवेश कर जाएगा. इसको देखते हुए कई राज्यों में किसानों द्वारा धान की नर्सरी तैयार करनी शुरू कर दी गई है. इसके बाद किसान धान की खेती में जुट जाएंगे. सभी राज्यों के किसान अलग-अलग किस्म के धान की नर्सरी तैयार करते हैं. किसान भाइयों के लिए एक Business Idea है कि यदि वे कम लागत में अधिक कमाना चाहते हैं तो ब्लैक राइस की खेती कर सकते हैं. इस चावल की कीमत बासमती चावल से भी बहुत अधिक होती है. Black Rice को काला चावल या काला धन के नाम से भी पुकारा जाता है. यदि एक किसान 1 हेक्टेयर में काले धान की खेती करता है तो उसकी आय लाखों रुपए में होती है तथा इसके अतिरिक्त इन दिनों बाजार में काले चावल की मांग भी बढ़ गई है.
500 रूपये किलो काले चावल
यदि किसान काले चावल की खेती करते हैं तो वे अपनी कमाई में बढ़ोतरी कर सकते हैं. बता दें कि, Normal Rice की कीमत शुरुआत ₹30 किलो से होती है जो कि ₹150 किलो तक पहुंच जाती है लेकिन काले चावलों की कीमत शुरुआत में ही ₹250 किलो होती है तथा इसकी कीमत ₹500 किलो तक जा सकती है. इसके अतिरिक्त इन काले चावल की खेती को बढ़ाने के लिए कई राज्यों में सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है. इसलिए कह सकते हैं कि काले चावलों की खेती करने से किसानों को फायदा होना निश्चित है.
ब्लैक राइस में एंटी- कैंसर एजेंट तथा अन्य गुण भी
जानकारी के मुताबिक, काले चावलों में एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है तथा इसमें एंटी- कैंसर एजेंट भी मौजूद होते हैं. इसके अतिरिक्त काले चावल में फाइबर, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में मिलता है. यदि कोई व्यक्ति काले चावलों का सेवन करता है तो वह अंदर से फिट और तंदुरुस्त रहता है. ब्लैक राइस को पकाने के बाद इसका रंग बदल जाता है. इसीलिए इसे नीला भात कहकर भी पुकारा जाता है. इसकी खेती सबसे अधिक North East में की जाती है लेकिन अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी इसकी खेती की जा रही है.
सबसे पहले चीन में की गई थी काले चावलो की खेती
बता दें कि काले चावलों की खेती सबसे पहले चीन में शुरू की गई थी. इसके बाद इसने भारत में प्रवेश किया. भारत में इसकी खेती सबसे पहले मणिपुर और असम में की गई. इसकी खेती सामान्य धान की तरह ही की जाती है तथा इसके पौधे की लंबाई भी सामान्य धान की तरह ही होती है. इसकी बाली के दाने लंबे लंबे होते हैं. जिसके कारण काले चावलों की लंबाई भी ज्यादा होती है. यह फसल 100 से 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं.