Wheat New Variety: अब कम पानी में लहलहाएगी गेहू की फसल, दो अलग किस्में की तैयार
Wheat New Variety:- गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने 2023 में देश के मध्यवर्ती और पूर्वी राज्यों के लिए दो नई गेहूं की किस्में बनाई हैं। डीडीबी-55 और डीबीडब्ल्यू-316 इनमें शामिल हैं। ये अन्य किस्मों की तुलना में आधे पानी में तैयार होंगे। इन्हें मध्य और उत्तरी मध्य भारत के मौसम के लिए बनाया गया है। DDB-55 मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात राज्यों के लिए सबसे अच्छा है। बीज को नवंबर से वितरित किया जाएगा। बीज का वितरण पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। दोनों फसलें दो सिंचाई में ही 112 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी।
ऐसे बचेगा पानी
DDB-55 को भूजल बचाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया। यह किस्म की जड़ें अन्य से अधिक लंबी हैं। इसमें वातावरण और जमीन से अधिक नमी सोखने की क्षमता है। दोनों प्रजातियों में गर्मी सहने की क्षमता भी अधिक है। उत्तरी भारत की अपेक्षा मध्य भारत में अधिक तापमान रहता है। यही कारण है कि दोनों प्रजातियों को स्थानीय परिस्थितियों में आजमाया गया। इस्तेमाल सफल रहा है। इस जाति को आम रोगों से लड़ने की क्षमता दी गई है। कृषकों की लागत भी कम होगी।
डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि डीबीबी 55 के अलावा अन्य प्रजातियों को भी प्रदान किया जाएगा। किस्मों को करनाल और भोपाल स्थित संस्थान में भी वितरित किया जाएगा।
डीबीबी-55 एक अगेती किस्म
AIWR के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि DB55 किस्म अगेती है। 112 दिन में यह फसल पककर तैयार हो जाती है। गेहूं की फसल में चार से पांच बार पानी लगाना सामान्य है। इसके बाद किसान कोई और फसल बो सकता है। यह भी उसका लाभ बढ़ा देगा।
इस प्रकार की गई जांच
कम पानी में गेहूं की फसल उगाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने कई राज्यों में अलग-अलग वातावरणों में अध्ययन किया। DDB-55 को मध्य भारत में पानी की कमी के कारण बनाया गया है।
DBW 316 पूर्वी भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ
डा. ज्ञानेंद सिंह ने बताया कि संस्थान ने पूर्वी भारत के लिए DBWV 316 प्रजाति बनाई है। यह प्रजाति अधिक उपज देती है और रोगों से भी लड़ती है। बीज आगामी सत्र से वितरित किया जाएगा। इसके लिए भी कम पानी की आवश्यकता होगी।