Inspirational Story: तपती धूप में तपकर तय किया ईंट से नीट का सफर, अब डॉक्टर बन कर ये बेटी करेगी गरीब माँ बाप का सपना पूरा
शिक्षा डेस्क :- हौसले बुलंद हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता फिर उसके लिए सफर कितना भी कठिन क्यों ना हो राही अपना सफर तय करके मंजिल तक पहुंच ही जाता है. आज आपको ऐसी ही एक होनहार छात्रा के बारे में बताएंगे जिसने कड़े संघर्ष के बाद अपने सपने को पूरा कर दिखाया.
सुविधाओं से वंचित रहकर भी की नीट की परीक्षा पास
यह होनहार छात्रा दुर्ग के डूमर डीह गांव की रहने वाली है. इस छोटे से गांव में रहने वाली इस छात्रा का नाम यमुना चक्रधारी है. गांव की इस बेटी ने सभी सुख-सुविधाओं से वंचित रहकर बिना किसी Coaching के NEET की परीक्षा पास करके दिखाई है. छात्रा की इस सफलता ने गांव, जिले और राज्य तक का नाम रोशन कर दिया है. छात्रा यमुना ने परीक्षा में 720 में से 516 अंक हासिल किए हैं. बता दें कि छात्रा यमुना की AIR 93,683 रही है और OBC Rank 42684 रही है.
दिन भर भट्टे पर ईट तैयार करती थी यमुना
तपती धूप में एक गर्म भट्टे में तपने के बाद एक ईंट तैयार होती है. एक तरफ सूर्य की तपिश बढ़ी और दूसरी तरफ यमुना के हौसले बुलंद होते गए. उसके दिल में डॉक्टर बनने का सपना था. यमुना की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी. वह दिन भर भट्टे पर ईट तैयार करती थी और उसके साथ साथ बिना किसी सुविधाओं के खाली समय में NEET की परीक्षा की तैयारी करती थी. अपने लक्ष्य को निर्धारित करके आखिरकार यमुना ने यह मुकाम हासिल कर ही लिया.
पूरे प्रदेश का किया नाम रोशन
NEET की यह परीक्षा पास करके यमुना ने न सिर्फ अपने गांव और जिले का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. 5 से 6 घंटे काम करने के बाद यमुना अपनी पढ़ाई के लिए समय निकालती थी. Self Study से सफलता हासिल करके अब यमुना MBBS पूरा करने के बाद MD या MS करने की कोशिश करेंगी.
बहन भी रही है M.A. इतिहास की टॉपर
यमुना ने बताया कि उतई के डॉक्टर अश्विन चंद्राकार गांव के लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. उन्होंने यमुना की भी सहायता की थी. अब यमुना बिल्कुल उन्हीं की तरह गांव वालों की सेवा करना चाहती है. यमुना की बड़ी बहन युक्ति चक्रधारी 2022 में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में M.A. इतिहास की Topper रही हैं. उन्होंने बताया कि किसी मोबाइल या लैपटॉप की सुविधा न होने के बावजूद सारा दिन भट्टे पर ईट बनाने के बाद उन्हें रात को पढ़ाई के लिए समय निकालना पड़ता था. परिवार के काम में हाथ बंटाने के साथ-साथ उन्होंने यह सफलता हासिल की है.