Bisleri: पानी पिलाकर कमाते हैं 220 करोड़, Bisleri ने ऐसे खड़ा किया 7000 करोड़ का साम्राज्य
नई दिल्ली :- Bisleri एक बार फिर चर्चा में है. पर क्या आप जानते हैं कि भारत के घर-घर में बोतलबंद पानी का पर्याय बन चुका बिसलेरी कई और छोटी-मोटी कंपनियों का धंधा चलाने में मददगार है. जी हां, इसके नाम पर ही Bilseri, Belsri और Birseli जैसी ना जाने कितनी छोटी कंपनियों का दाना-पानी चल रहा है. गांव-देहात से लेकर शहर-कस्बों तक भारत में बोतलबंद या पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर का दूसरा नाम बिसलेरी ही है. लोगों को पानी पिलाकर ही बिस्लेरी 220 करोड़ रुपये का लाभ (Profit) कमाती है. आखिर कैसे 1851 में बने इस ब्रांड ने 7,000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा किया, आइए जानते है.
बिसलेरी कमाती है मोटा मुनाफा
जानकारी के मुताबिक, रमेश चौहान की बिसलेरी का टर्नओवर वित्त वर्ष 2022-23 में 2,500 करोड़ रुपये रहा है. इसमें कंपनी के प्रॉफिट का हिस्सा 220 करोड़ रुपये है जबकि कोविड (Covid) वाले साल यानी मार्च 2021 में खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी की सेल्स 1,181.7 करोड़ रुपये रही थी, जहां प्रॉफिट 95 करोड़ रुपये था.
बहुत बड़ा है पानी का बाजार
सूत्रों के अनुसार, भारत में अगर ऑर्गनाइज्ड (Organized) और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर (Unorganized) में फैले पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर कारोबार को देखें तो ये करीब 19,315 करोड़ रुपये का है. मार्केट रिसर्च कंपनी टेकसाई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार ये हर साल 13.25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा बाजार है.
इस सेक्टर में रमेश चौहान की बिस्लेरी के अलावा देश-विदेश की बड़ी कंपनियां भी अलग-अलग ब्रांड नाम से पानी का बेचती हैं, जैसे पेप्सिको का एक्वाफिना, कोकाकोला का किनले, आईआरसीटीसी का रेलनीर और टाटा ग्रुप का टाटा कॉपर प्लस ब्रांड है. वहीं बिसलेरी प्रीमियम सेगमेंट में भी है जिसके तहत वह Vedica नाम से हिमालयन स्प्रिंग वाटर बेचती है, जिसमें उसका कॉम्प्टीशन टाटा के Himalayan से है.
चर्चा में क्यों है बिसलेरी ?
बता दे कि बिसलेरी के उत्तराधिकारी चुनने को लेकर बिसलेरी चर्चा में बनी हुई है. इसकी शुरुआत करने वाले रमेश चौहान अपना कारोबार पहले टाटा ग्रुप को बेचना चाह रहे थे, लेकिन उनमें समझौता नहीं हुआ. उनकी बेटी जयंती चौहान और उनके बीच कारोबार संभालने को लेकर एकमत नहीं है, इसलिए अब बिसलेरी की कमान फिलहाल कंपनी के सीईओ एंजिलो जॉर्ज के हाथों में पहुंच गई है.
बिसलेरी का सफर
जानकारी के अनुसार बिजनेसमैन, केमिस्ट और इंवेंटर साइनर फेलिस ने 1851 में बिसलेरी की नींव रखी थी. उन्होंने इसकी शुरुआत अल्कोहल रीमेडी (Alcohol Remedies) के तौर पर एक हर्ब्स से बना ड्रिंक बेचने के लिए की थी. फेलिस की मौत के बाद उनके दोस्त डॉक्टर रोसी बिसलेरी के मालिक बन गए.
बाद में डॉक्टर रोसी ही थे जिन्होंने अपने भारतीय दोस्त और वकील खुशरू संतूक को इसके साथ जोड़ा और भारत में बोतलबंद मिनरल वाटर बेचना शुरू कर दिया. इस ब्रांड ने जल्द ही मुंबई और आसपास के बाजारों में होटल से लेकर रेस्तरां तक जगह बना ली. तब इसका प्लांट ठाणे में शुरू किया गया था.
इसके बाद साल आया 1969, जब भारत में पारले कंपनी के चौहान ब्रदर्स ने इस सेगमेंट (Segment) में प्रवेश किया. रमेश चौहान ने मात्र 4 लाख रुपये में बिसलेरी ब्रांड(Bisleri Brand) को खरीद लिया. रमेश चौहान की मार्केटिंग स्ट्रैटजी (Marketing Strategy) ने इस ब्रांड को ना सिर्फ होटल और रेस्तरां से निकालकर भारत के आम घरों तक पहुंचाया, बल्कि विदेशों में भी फेमस कर दिया. अब बिसलेरी ब्रांड की वैल्यू करीब 7,000 करोड़ रुपये की है.