Vodafone-Idea ग्राहकों को लगने जा रहा है झटका, कम्पनी जल्द समेट सकती है बोरिया बिस्तर
गैजेट:- Vodafone-Idea, दूरसंचार क्षेत्र में आज के दिन प्रतियोगिता बहुत अधिक हो गई है. इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच वोडाफोन आइडिया संकट में फंसती हुई नजर आ रही है. बढ़ते कर्ज के साथ जरूरी राशि जुटाने में देरी के बीच कंपनी बढ़ती प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न कारकों के कारण परिचालन भी बंद करने का निर्णय ले सकती है. एक घरेलू ब्रोकरेज (Brokrage) कंपनी ने सोमवार को यह कहा कि महंगाई दर के भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहने के बीच दूरसंचार कंपनियां अगले साल आम चुनाव के बाद संभवत: जून 2024 में शुल्क दरों में बढ़ोतरी कर दें.
मुद्रास्फीति
बता दें कि, ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार दूरसंचार कंपनियों के आम चुनाव के बाद ही जून, 2024 में शुल्क दरें बढ़ाने की संभावना है. इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति के आरबीआई (RBI) के संतोषजनक दायरे से ऊपर होना और राज्यों में होने वाले चुनाव हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘शुल्क दरों में वृद्धि में देरी से वोडाफोन आइडिया पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और उसका बाजार में टिके रहना कठिन हो जायेगा. फलत: बाजार में दो कंपनियों के एकाधिकार की स्थिति पैदा हो जाएगी.’’
5G सेवाओं के लिए करनी होगी निवेश में बढ़ोतरी
वोडाफोन आइडिया को 4जी दायरा बढ़ाने और 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए निवेश (Investment) में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है. रिपोर्ट में आगाह करते हुए कहा गया है कि अगर कंपनी ने निवेश नहीं किया, तो उसकी बाजार हिस्सेदारी घटती चली जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘हमारे अनुमान के अनुसार, वोडाफोन आइडिया को अगले 12 माह 5,500 करोड़ रुपये की नकदी की कमी का सामना करना पड़ सकता है और दरें नहीं बढ़ने या पूंजी जुटाने में देरी से उसे अपना परिचालन भी बंद करना पड़ सकता है.’’ ब्रोकरेज कंपनी ने वोडाफोन आइडिया की रेटिंग भी निलंबित कर दी है. उसने साफ कहा है कि 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर्ज और बाजार हिस्सेदारी में कमी की आशंका को देखते हुए कोष जुटाना कंपनी के लिये टेढ़ी खीर लगता है.
बाजार में केवल 2 कंपनियां रिलायंस जिओ तथा भारतीय एयरटेल
सूत्रों के अनुसार, कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज (kotak Institutional Activities) ने एक रिपोर्ट में कहा कि शुल्क दर में वृद्धि के अभाव में वोडाफोन आइडिया जरूरी निवेश और 5जी सेवाएं शुरू नहीं कर पाएगी. इससे कंपनी के ग्राहकों की संख्या और घटेगी तथा इससे पूंजी जुटाने की योजना को हकीकत रूप देना मुश्किल हो जायेगा. रिपोर्ट के अनुसार, इससे बाजार में केवल दो कंपनियां रिलायंस जियो (Relaince Jio) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ही रह जाएंगी. फलत: दीर्घकाल में दो कंपनियों के एकाधिकार (द्वयाधिकार) की स्थिति को लेकर चिंता बनी हुई है.