Haryana News: हरियाणा के इस पूरे गांव में मुफ्त मिलते हैं दूध और लस्सी, 150 साल पहले मिले आदेश का ग्रामीण आज भी कर रहे पालन
भिवानी :- वर्तमान में बढ़ती हुई महंगाई को देखकर ऐसा लगता है कि दूध सब्जी आदि खाद्य पदार्थों को बच्चों के लिए खरीद पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. दूध का भाव तो जैसे आसमान छू रहा है. ऐसे समय में आपको बता दें कि एक गांव ऐसा है जहां आज भी दूध Free में मिलता है. यह जानने के लिए आप भी इच्छुक होंगे कि ऐसा कौन सा गांव है जहां दूध के बदले पैसे नहीं लिए जाते. आइए आपको उस गांव के बारे में बताते हैं.
ऐसा गाँव जहाँ दूध और लस्सी दिया जाता है मुफ्त में
आज की महंगाई को देखते हुए यह बात तो साफ है कि दूध को खरीद पाना आम लोगों के लिए इतना मुश्किल हो गया है. आए दिन दूध के रेट बढ़ते ही जाते हैं. शहरों में दूध के रेट ₹70 और ₹80 लीटर के भाव में मिलता है. यहाँ तक कि गांव में भी दूध का भाव सस्ता नहीं है. वहां भी दूध का भाव ₹50 और ₹60 लीटर के बीच में है. ऐसे में एक गरीब आदमी के लिए बच्चों के लिए दूध खरीद पाना आसान बात नहीं है. इसी वजह से बच्चों को भरपूर पोषण नहीं मिलता है. आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि ऐसे हालातों में भी एक गांव ऐसा है जहां दूध और लस्सी Free में मिलते हैं. यह सोचकर तो आप भी अचंभित होंगे कि ऐसा क्या है कि उस गांव के लोग दूध को मुफ्त में देते हैं. आइए इस बारे में आपको बताते हैं.
भिवानी में स्थित इस गाँव में नहीं होता दूध का व्यापार
दूध को न बेचने वाला ऐसा गांव हरियाणा के भिवानी शहर में स्थित है. आंकड़े के अनुसार गांव में लगभग 750 घर हैं. आपको बता दें कि इस गांव को नाथूवास गांव के नाम से जाना जाता है. इस गांव के हर एक घर में लोग दो या तीन गाय-भैंस रखते हैं. इसके बावजूद इस गांव का कोई भी व्यक्ति दूध का व्यापार नहीं करता है. अगर किसी को दूध की आवश्यकता पड़ती है तो ऐसे में दूध को बेचा नहीं जाता बल्कि Free में दे दिया जाता है.
क्या है दूध मुफ्त में देने की वजह
गांव के निवासी और वहां के बड़े बुजुर्गों से बातचीत कर के पता चला कि काफी समय पहले गांव में एक बार महामारी फैल गई थी. इस महामारी के फैलने से आए दिन जानवरों की मृत्यु होने लगी. उस समय गांव में फूलपुरी नाम के एक महंत हुआ करते थे. उन्होंने गांव के निवासियों को यह सलाह दी कि जो जानवर बचे हैं उनको एक पेड़ से बांध दिया जाए और उसके बाद सभी को दूध बेचने से इंकार कर दिया. उन मुश्किल हालातों में गांव वालों ने महंत की बात को स्वीकार किया और दूध को बेचना बंद कर दिया. देखते ही देखते थोड़े समय में ही सब ठीक-ठाक होने लगा और उसके बाद गांव का कोई भी व्यक्ति अगर दूध बेचने की कोशिश करता तो उसके साथ कोई न कोई अनहोनी घट जाती थी.
इस 150 साल पुरानी परम्परा से अब तक हो रहा है फायदा
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह परंपरा 150 सालों से चलती आ रही है. आज तक गांव में कोई भी व्यक्ति दूध नहीं बेचता है. अब तक उस गांव में कोई महामारी दोबारा नहीं आई है. इस परंपरा से गांव के लोगों को भरपूर फायदा मिल रहा है. गांव के बच्चों को पोषण तो मिलता ही है इसके साथ साथ गांव में कोई छोटा मोटा Function या शादी का काम होता है तो ऐसे में लोग दूध Free में दे देते हैं. कुल मिलाकर गांव के लोगों को भरपूर पोषण के साथ-साथ और भी फायदे मिल जाते हैं.