हरियाणा के सरकारी पोर्टल पर बड़ा गोलमाल, किसानों के मुआवजे को नए- नए हथकंडों से हड़पने की कोशिश
चंडीगढ़ :- 2020 में हरियाणा सरकार ने किसानों के फायदे के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल चलाई थी, जिसके तहत किसान अपनी फसल की Registration करवा सकते हैं. मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी ठगी शुरू हो गई है. हाल ही में पता लगा है कि कुछ शातिर लोगों ने पोर्टल पर दूसरों की जमीन पर बाजरे का रजिस्ट्रेशन करा कर सरकार से मिली भावांतर भरपाई को हड़प लिया है. अब यह लोग किसानों को मिलने वाले मुआवजे को भी हजम करने के चक्कर में है. ऐसे लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही की जाएगी.
मेरी फसल मेरा ब्योरा पर भी हो रही है ठगी
अगर किसान समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचना चाहता है तो उसे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन करवाने के दौरान किसानों को अपनी जमीन तथा खेत में कौन सी फसल उगाई गई है इसका पूरा रिकॉर्ड दर्ज करवाना होता है. हरियाणा में काफी किसान ऐसे भी हैं जो पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं और यह लोग अपनी फसल प्राइवेट तरीके से बेचते हैं. ऐसे किसानों की लापरवाही का फायदा शातिर लोगों द्वारा उठाया जा रहा है. पिछले सीजन में जिन किसानों ने अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था उन लोगों की जमीन का रजिस्ट्रेशन कुछ फर्जी लोगों ने करवा लिया और बाजरे पर मिलने वाली भावांतर की राशि को अपने खाते में डलवा कर हजम कर गए. ऐसे लोग अब किसानों को मिलने वाले मुआवजे को भी अपना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों ने अपने स्तर पर इस मामले को सुलझा लिया. अगर इसकी जांच की जाए तो मोटा गमन सामने आ सकता है.
किसानों की जमीन पर होता है गोलमाल
मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल किसानों के फायदे के लिए चलाया गया था. यहां पर किसान अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन करवा कर मुआवजा तथा भावांतर भरपाई की राशि ले सकते हैं. शातिर लोग छोटे किसानों की जमीन को अपने नाम पर पोर्टल करवा कर उनकी राशि अपने खाते में जमा कर रहे हैं. इसके अलावा शातिर लोग गोल खाते की जमीन पर भी यह खेल खेलते हैं. गोल खाते में एक जमीन के काफी सारे हिस्सेदार होते हैं, कई हिस्सेदार पूरी जमीन का ही रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करवा लेते हैं. जब दूसरा पार्टनर अपने हिस्से का रजिस्ट्रेशन करवाने लगता है तब उसे पता लगता है कि पोर्टल पर इस जमीन का पहले से ही रजिस्ट्रेशन हो चुका है. पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जिस नाम से होता है समर्थन मूल्य पर बेचने का अधिकार भी उसे ही दिया जाता है. सरकार द्वारा दी गई भरपाई की राशि और मुआवजा की राशि भी उसी के खाते में डाली जाती है. बहुत सारे किसानों को इसके बारे में Knowledge नहीं है. इसलिए उनको काफी Loss हो रहा है.
पोर्टल पर ही है समाधान
किसानों के साथ हो रहे इस धोखे का Solution मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर ही मौजूद है, परंतु लोगों के इस के बारे में जानकारी नहीं है. अगर किसान की जमीन पर किसी अन्य व्यक्ति ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है तो किसान पोर्टल पर जाकर ग्रीवेंस के Option पर Click कर सकता है. इसके बाद अपनी जमीन का किला नंबर, मुस्तिल नंबर या अन्य जानकारी देकर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद पटवारी की जिम्मेदारी होती है कि वह आपकी जमीन का रजिस्ट्रेशन अलग से करवाएं.