Virtual Autism: मोबाइल देखकर खाना खाने वाला बच्चा हो जाता है इस भयंकर बीमारी का शिकार, यदि आप भी हैं अनजान तो जरूर देखे
नॉलेज डेस्क :- आजकल मोबाइल युवा पीढ़ी के लिए बहुत अहम हो चुका है. Routine Life की भाग दौड़ में मोबाइल के बिना हर काम असंभव हो गया है. लेकिन गंभीरता की बात यह है कि युवाओं के साथ मोबाइल की लत बच्चों को भी लग चुकी है. इस बात के जिम्मेदार कहीं ना कहीं उनके Parents हैं क्योंकि उनकी हर छोटी सी जिद से बचने के लिए माता पिता बच्चों के हाथ में मोबाइल पकड़ा देते हैं फिर चाहे बच्चों को खाना खिलाना हो या उन्हें चुप कराना.
मानसिक विकास पर पड़ सकता है प्रभाव
इस बात को लेकर बहुत सारे Research किए गए है जिनमें यही निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल की वजह से बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ता है. कुछ Research में यह भी पता चला है कि मोबाइल की वजह से छोटे बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता है. यह एक चिंता का विषय है कि इस वजह से बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा बढ़ रहा है. वर्चुअल ऑटिज्म के बारे में जानना बहुत जरूरी है. आज हम आपको बताएंगे कि इसके बढ़ते हुए खतरे से बच्चों को कैसे बचाया जाए.
4 से 5 साल तक के बच्चे हुए वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार
आजकल बच्चे TV, Smartphone और Electronic Gadgets के साथ ज्यादा समय बिताते हैं जिसकी वजह से उनमें कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं. Research में पता चला है कि वर्चुअल ऑटिज्म अधिकतर 4 से 5 साल तक के बच्चों में पाया गया है और इसका कारण TV, Mobile, Smartphone और Electronic Gadgets की लत लगना ही बताया गया है.
वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षणों के बारे में जानना है जरूरी
जब बच्चे स्मार्टफोन का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें बाहरी दुनिया में दूसरे लोगों से घुलने मिलने और उनसे बातचीत करने में Problem होने लगती है. Health Experts बताते हैं कि इन्हीं लक्षणों को वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है.
वर्चुअल ऑटिज्म के कई प्रकार के लक्षण होते हैं जिनके बारे में आपके लिए जानना बहुत जरूरी है.
वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण
- थोड़ी-थोड़े समय में चिड़चिड़ापन होना
- किसी भी बात का Response ना देना
- 2 साल का होने पर भी नहीं बोल पाना
- Family Members को न पहचान पाना
- नाम लेकर पुकारने पर अनसुना कर देना
- किसी के साथ नजरें ना मिलाना
- एक ही Activity को बार-बार दोहराना
वर्चुअल ऑटिज्म से बच्चों को कैसे बचाया जाए
इसका पहला तरीका यही है कि Parents को जितना हो सके बच्चों को Electronic Gadgets से दूर रखना होगा. उन्हें बच्चों में यह लत लगने से रोकना होगा. बच्चों में इस लत के लगने में सबसे बड़ा हाथ उनके Parents का ही है. जब तक वह बच्चों को मोबाइल से दूर नहीं करेंगे तब तक इस खतरे को रोक पाना मुश्किल है. इसके लिए सबसे पहले Parents को बच्चों का Screen Time एकदम Zero करना होगा. Electronic Gadgets से दूर करके बच्चों का Focus बाहरी Activities पर लगाना होगा और उनके सोने और जागने का समय भी निश्चित करना होगा. इसके साथ साथ बच्चों को Other Activities के बारे में जानकारी देनी होगी.