Mughal Harem: जाने क्या मुगलों के लिए सिर्फ अय्याशी का अड्डा होता था ‘हरम’, जाने क्या था हरम का असली काम
नई दिल्ली :- मुगलों के समय रानियां और दासियों को रहने के लिए Mughal Harem दिया जाता था. हरम की शुरुआत बादशाह बाबर ने की थी, लेकिन सही मायनों में Mughal Harem सबसे पहले अकबर ने शुरू किया था. अगर आप भी हरम के बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हैं तो आज की यह खबर आपके लिए फायदेमंद होगी. आज हम आपको बताएंगे कि हरम होता क्या था? Mughal Harem बनाने की प्रक्रिया कैसे शुरू हुई.
किसने की थी हराम की शुरुआत
अगर हम आसान भाषा में बताएं तो Mughal Harem एक ऐसी जगह थी जहां पर मुगल बादशाह से जुड़ी सभी औरतों को रखा जाता था. यहां पर मुगल बादशाह की सभी बेगम और दासियां रहती थी. हरम के अंदर सुल्तान के अलावा किसी भी पुरुष को जाने की इजाजत नहीं होती थी. Mughal Harem में महिलाओं को हर सुविधा दी जाती थी.
हरम बनाने की प्रक्रिया कैसे शुरू हुई
अगर हम मुगल शासन की बात करें तो महिलाओं के लिए हरम बनाने की प्रक्रिया बादशाह बाबर ने शुरू की थी, लेकिन इसकी शुरुआत सही मायने में अकबर ने की थी. अकबर के बाद जब जहांगीर ने अपना शासन किया तब हरम बनाने की प्रक्रिया और उसकी देखरेख पर गौर किया गया. औरंगजेब आने के बाद Mughal Harem की परंपरा को खत्म कर दिया गया.
क्या-क्या होता था हरम के अंदर
हरम एक ऐसी जगह थी जहां पर राजा की सभी बेगम रहती थी. हरम की बेगमों की एक अलग तरह की राजनीति चलती थी. हरम में सबसे ज्यादा उस बेगम की चलती थी जो मुगल बादशाह के करीब होती थी. हरम की सुरक्षा किन्नर द्वारा की जाती थी. हराम की महिलाओं को किसी और पुरुष से मिलने की इजाजत नहीं होती थी. Mughal Harem के अंदर केवल राजा ही आ सकते थे. Mughal Harem में राजा ही तय करते थे कि वह रात को किस रानी के साथ समय बिताएंगे. बाकी सभी रानियां को राजा का हुक्म मानना पड़ता था.