Mahila Naga Sadhu: क्या महिला नागा साधुओं को भी रहना होता है नग्न? जानें महिला नागा साधू के जीवन से जुड़े रहस्यों को
नई दिल्ली, धर्म :- भारत में केवल पुरुष नागा साधु नहीं होते हैं बल्कि महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं. महिला नागा साधु कैसे बनती है और उनका जीवन कैसा होता है यह किसी को नहीं पता? महिला नागा साधुओं की दिनचर्या कैसी होती है? नागा साधु बनने की प्रक्रिया आसान नहीं होती, बल्कि एक कठिन तपस्या से गुजरना पड़ता है. नागा साधु बनने पर अपने आप को ईश्वर को पूरा समर्पित करना होता है.
नागा साधु बनना है काफी मुश्किल
हर साल देश में प्रयागराज माघ मेला लगता है और इस मेले में दूर-दूर से साधु संत आते हैं. प्रयागराज माघ मेले में नागा साधु की भी काफी संख्या होती है. पिछले 2 साल कोरोना महामारी के कारण मेले में काफी कम संख्या में लोग आए थे. नागा साधु ज्यादा किसी से बात नहीं करते और इनकी दुनिया काफी रहस्यमई होती है.
नागा महिला साधु धारण करती है सिर्फ एक कपड़ा
महिला के नागा साधु बनने की प्रक्रिया आसान नहीं होती. पहले महिला को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है, जब महिला ऐसा कर पाती है उसके बाद उनके गुरु उनको नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं. नागा साधु बनने से पहले उनके पिछले जन्म के बारे में भी पता किया जाता है और यह भी पता किया जाता है कि महिला भगवान के प्रति पूरी तरह समर्पित है या नहीं महिला.
नागा साधु बनने के लिए मरने से पहले ही उनको अपना पिंड दान करना होता है. पिछली जिंदगी को भूलना होता है. नागा साधु बनने के लिए उन्हें अपना मुंडन करवाना होता है. साधुओं में वैष्णव, शैव, और उदासीन तीनों ही संप्रदायों के अखाड़े नागा बनाते हैं. पुरुष और महिला नागा साधु बनते हैं तो दोनों में एक बड़ा फर्क होता है. पुरुष नागा साधु बनने के बाद कोई भी कपड़ा धारण नहीं करते हैं वही महिला नागा साधु बनने के बाद अपने शरीर पर एक बिना सिला हुआ कपड़ा पहनती हैं.
किन नामों से बुलाया जाता है और किस भगवान की कृति है पूजा
जब महिला नागा साधु बन जाती हैं तो उनको नागिन या फिर अवधूतानी कह कर संबोधित किया जाता है. दूसरे साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती है. महिला नागा साधु अपने आपको शिव को समर्पित कर देती हैं. जागने से लेकर रात को सोते समय तक वह पूरे समय अपने आप को भगवान में लीन रखती हैं. पूरे भारत में नागा साधुओं के लिए तेरा अखाड़े बनाए गए हैं. इनमें से जूना का अखाड़ा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है. पहली बार प्रयागराज 2103 में जूना अखाड़े में महिलाओं के माई बड़ा अखाड़े को भी शामिल कर लिया गया था. इस अखाड़े में नागा सहित कई अलग-अलग पदवियों पर महिला विराजमान है.
इस साल के माघ मेले में कैसी है व्यवस्था
माघ मेले में आए हुए नागा बाबा एक महीना टेंट में गुजारते हैं. यह लोग दिन में दो बार गंगा स्नान करते हैं और एक ही समय भोजन करते हैं. बाकी का पूरा समय यह लोग पूजा-पाठ और कथा भागवत सुनकर गुरु के साथ सत्संग में गुजारते हैं. हर बार माघ मेले में बड़ी संख्या में विदेशी भी आते हैं. परंतु कोरोना की वजह से 2 साल इस मेले में विदेशों की संख्या बहुत कम थी. इस बार फिर से बड़ी संख्या में विदेशी आए हैं.
क्रिया योग आश्रम और इस्कॉन के शिविरों में इन विदेशी मेहमानों के ठहरने के लिए स्विस कॉटेज की व्यवस्था की जाती है. अगले साल यह माघ मेला स्नान पर्व 14 जनवरी महा सक्रांति को होगा. इसके बाद 21 जनवरी को मौनी अमावस्या, 26 जनवरी को बसंत पंचमी, 5 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ माघ मेले को संपन्न किया जाएगा.