पति- पत्नी को कभी भी एक साथ में नहीं करना चाहिए भोज, वजह जानकर आप भी हो जायँगे हैरान
नई दिल्ली :- आमतौर पर लोग ऐसा मानते हैं कि पति-पत्नी एक साथ एक थाली में खाएंगे तो उनके बीच प्रेम भाव बढ़ता है. आजकल के दौर में ऐसा अक्सर होता है कि प्यार को जताने के लिए ज्यादातर पति-पत्नी एक ही थाली में खाना ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन क्या पति-पत्नी का एक ही थाली में खाना फायदेमंद है या नुकसान दायक. व्यावहारिक दृष्टि से आप इसे जैसा भी सोचें लेकिन महाभारत कि इस विषय में कुछ और ही राय है. आइए जानते हैं महाभारत के अनुसार, पति-पत्नी का एकसाथ थाली में भोजन करना चाहिए या नहीं.
पांडव लेते हैं भीष्म पितामह से ज्ञान
महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठर अपने भाइयों समेत सरसैया पर लेटे भीष्म पितामह के पास ज्ञान प्राप्ति के लिए जाते हैं. युधिष्ठर पितामह से अच्छी राजनीति कैसे की जाए और राज्य की तरक्की कैसे हो, इसके बारे में ज्ञान लेने जाते हैं. सरसैया पर लेटे भीष्म उनको कई चीजों के बारे में ज्ञान देते हैं और उस ज्ञान से अपने आसपास के लोगों की भी समझ बढ़ाते हैं. भीष्म पितामह इसके साथ ही भोजन के बारे में भी बताते हैं कि किस तरह की थाली होनी चाहिए और किसके साथ भोजन करना चाहिए, जिससे व्यक्ति में ज्ञान बढ़ सके.
निभाने चाहिए सभी के प्रति कर्तव्य
भीष्म पितामह ने आदर्श जीवन को लेकर बताया है कि हर इंसान अपने जीवन में कई प्रकार के रिश्ते – नाते बनाता है और उसे घर में हर व्यक्ति को लेकर बहुत से कर्तव्य निभाने होते हैं. हर व्यक्ति को अपने सभी कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. इसके लिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति के रिश्ते सभी से मधुर होने चाहिए. अगर पति पत्नी एक थाली में खाना खाएंगे तो पति का अपने घर वालों के मुकाबले में पत्नी से प्रेम ज्यादा ही बढ़ जाएगा. ऐसे में घर में कलेश होना आम बात है.
पति पत्नी के एक साथ खाना खाने से घर हो सकता है बर्बाद
भीष्म पितामह ने बताया कि पति-पत्नी एकसाथ थाली में खाना अच्छा नहीं माना जाता. वह खाना मद के समान बताया जाता है क्योंकि प्रेम आपके ऊपर ज्यादा हावी हो जाता है. जिसके चलते आप दीन दुनिया बेखबर हो सकते हैं और परिवार में लड़ाई-झगड़ा होना शुरू हो सकता है क्योंकि पत्नी का प्रेम ही आपकी नजर में सर्वोपरि होने लगता है. सामाजिक जीवन में व्यवहारिकता कम हो जाती है. एक छोटी सी गलती आपके पूरे परिवार की खुशियां छीन सकती है और आपका घर बर्बाद हो सकता है. इस तरह की बातें महाभारत के अनुशासन पर्व में कही गई हैं.
भोजन के बारे में अन्य नियम
भीष्म पितामह आगे बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति भोजन की थाली को लाघंकर चला गया है तो इस तरह के भोजन को नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वह भोजन कीचड़ के समान हो जाता है. ऐसी थाली में लगे भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए. अच्छा होगा कि उस भोजन को जानवरों को दे दें.
भाइयों के साथ भोजन अमृत समान
भीष्म पितामह ने बताया कि भाईयों को हमेशा साथ में ही भोजन करना चाहिए, ऐसी भोजन की थाली अमृत के समान होती है. ऐसे भोजन से परिवार की तरक्की होती है और स्वास्थ्य तो अच्छा रहता ही है, साथ ही लक्ष्मी भी घर में प्रवेश करती है. पांडव भी मिलजुल कर और साझा करके एकसाथ भोजन किया करते थे. जिसने इन लोगों के बीच हमेशा प्रेम बना रहा और भगवान कृष्ण स्वयं इनको युद्ध में विजय दिलाने आए.
हो सकती है धन की हानि
भीष्म पितामह ने कहा कि अगर भोजन से लगी थाली में किसी का पैर लग जाए या ठोकर लग जाए तो ऐसा भोजन भी खाने योग्य नहीं होता है. ऐसे भोजन को ग्रहण करने से बचना चाहिए अन्यथा दरिद्रता की आशंका बनी रहती है. वहीं अगर खाते वक्त भोजन में से बाल निकल आए तो ऐसा खाना खाने योग्य नहीं होता, वह दूषित हो जाता है. ऐसा भोजन खाने से व्यक्ति को धन की हानि का सामना करना पड़ता है.