Khatu Shyam Ji: बाबा खाटू श्याम के द्वार पर कदम रखते ही दूर होंगी हर दुख-तकलीफ, भगवान श्री कृष्ण ने दिया था ये वरदान
नई दिल्ली, Khatu Shyam Ji :- सनातन धर्म में ऐसे हजारों देवता हैं, जिनके दरबार पर कदम रखने से हर पीड़ा दूर हो जाती है. इनमें से एक है खाटू श्याम बाबा. राजस्थान के सीकर जीले में स्थित यह अद्भुत मंदिर सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. लाखों देश-विदेश से भक्त यहां आते हैं. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि लोग यहां अपनी दुखों और मनोकामनाओं को एक पर्ची पर लिखकर Khatu Shyam Ji को दिखाते हैं, जिसके बाद उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही, श्रद्धालुओं को हर कष्ट से छुटकारा मिलता है. लेकिन खाटू श्याम बाबा को इतना लोकप्रिय क्यों बनाया गया? इससे बहुत कम लोग परिचित होंगे. आखिर, इस मंदिर में भगवान के रूप में एकमात्र सर वाले इस खाटू श्याम भगवान की क्या महत्वता है? उनकी उत्पति कैसे हुई और लोग इन्हें क्यों पूजते हैं? आइए इन सभी सवालों के जवाब जानें.
श्रीकृष्ण ने दिया था वरदान
हिंदू धर्म में मानते हैं कि Khatu Shyam Ji ने भगवान श्रीकृष्ण से वरदान लिया था कि वे अपने नाम श्याम से पूजे जाएंगे. वास्तव में खाटू श्याम को बर्बरीक कहा जाता था. बचपन में खाटू श्याम बहुत शक्तिशाली थे. उन्होंने युद्धकला अपनी मां मोरवी और भगवान श्रीकृष्ण से सीखी.
पा सकते हैं दुखों और पापों से छुटकारा
Khatu Shyam Ji मध्यकालीन महाभारत में भीम के पुत्र घटोत्कच और दैत्य मूर की पुत्री मोरवी का पुत्र था. वह बचपन से ही वीर थे. शक्ति और क्षमता से भगवान श्रीकृष्ण इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने कलियुग में बाबा खाटू श्याम को श्याम नाम से पूजने का वरदान दिया. इसलिए इस मंदिर की बहुत मान्यता है. यह कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि उन्होंने जिस व्यक्ति के नसीब में दुख लिख दिए, कोई उन्हें दूर नहीं कर सकता. लेकिन खाटू श्याम बाबा के दर पर कदम रखने वाले ही अपने दुखों और पापों से छुटकारा पा सकते हैं. तब से लोग खाटू श्याम बाबा की पूजा करने लगे.
हर मनोकामना होती है पूरी
मान्यता है कि Khatu Shyam Ji का नाम सच्चे मन से उच्चारण करने से उद्धार हो सकता है. यहां मान्यता है कि अगर भक्त खुद नहीं आ पाता, तो वह अपने पहचान वालों के माध्यम से एक पत्र लिखकर अपनी मनोकामना या दुख की मांग कर सकता है. उनके दर्द को खाटू श्याम दूर करता है. लखदातार भी कहलाते हैं क्योंकि वे मनोकामना को लाखों बार पूरा करते हैं.