PMMVY Scheme: इस स्कीम के तहत गर्भवती महिलाओं को मिल रहे है 5000 रुपये, इस प्रकार उठा सकते हैं लाभ
नई दिल्ली :- केंद्रीय सरकार द्वारा महिलाओं के लिए अनेक योजनाएं चलाई गई हैं. वही एक योजना का नाम है प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना. यह सरकार का नेतृत्व करने वाला एक कदम है. इस योजना का पहला उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार संभव करना है. इस योजना में सरकार महिलाओं को मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान करती है. इसका उद्देश्य कुपोषण के असर को कम करने के साथ-साथ चिकित्सा उपचार और दवा खर्चे से जुड़ी वित्तीय समस्याओं को हल करना है.
महिलाओं को ₹5000 का नगद प्रोत्साहन
बता दे कि, PMMVY योजना का ढांचा इस प्रकार तैयार किया गया है कि इसके अंदर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5000 रूपये का नगद प्रोत्साहन दिया जाता है जो कि तीन किस्तों में विभाजित किया गया है. यह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) कार्यक्रम के माध्यम से सीधे महिलाओं के बैंक खातों में जमा कर दिया जाता है.
तीन किस्तों में दिए जाते हैं पूरे पैसे
जानकारी के मुताबिक, गर्भावस्था के Registration कराने पर ₹1000 की प्रारंभिक किस्त प्रदान कर दी जाती है तथा गर्भावस्था के छठे महीने के दौरान कम से कम 1 प्रसवपूर्ण जांच के बाद ₹2000 की दूसरी किस्त महिलाओं के खाते में Transfer कर दी जाती है. तीसरी और अंतिम किस्त बच्चे के जन्म के पंजीकरण कराने के बाद 2000 रुपए के रूप में महिलाओं के खातों में भेज दी जाती है.
पहले जीवित बच्चे के समय ही प्राप्त होता है लाभ
PMMVY का उद्देश्य उन महिलाओं का ध्यान रखना है जो दैनिक मजदूरी करती हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हालातों से ग्रसित है. इस Scheme का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि महिलाओं के इस महत्वपूर्ण समय के दौरान उन्हें आवश्यक चिकित्सा, देखभाल और उपचार प्राप्त हो सके, फिर भी यह बात ध्यान रखने योग्य है कि यह कार्यक्रम किसी भी Central या State Government के उपक्रम से जुड़ी महिलाओं तक विस्तृत नहीं है तथा इसके अतिरिक्त केवल पहला जीवित बच्चा ही इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकता है.
योजना के प्राप्त हुए अनुकूल परिणाम
PMMVY का भारत में मातृ स्वास्थ्य पर काफी अनुकूल परिणाम प्राप्त हुआ है. इस कार्यक्रम के द्वारा सरकार ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए चिकित्सा उपचार और देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराई है, जिससे कुपोषण के आंकड़ों में कमी आई है और उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार संभव हो पाया है.