आखिर शादी में सफेद घोड़ी पर ही क्यों बैठकर आता है दूल्हा, वजह जान हिल जायेगा दिमाग
नई दिल्ली :- शादी के दिन दूल्हा को सफेद घोड़ी पर बैठाया जाता है. यह रिवाज सदियों से चला आ रहा है, लेकिन आज शायद ही किसी को इसके पीछे का कारण पता है. शादी में कई अलग-अलग रीति-रिवाज हैं, हर एक का अपना अलग अर्थ और महत्व है. दुल्हन के विदा होने तक दूल्हे की योग्यता का पता लगाने के लिए कई रस्में भी होती हैं. घोड़ी चढ़ाई भी शादी के स्थान पर दूल्हे को सफेद घोड़ी पर लाता है. सहबाला नामक एक छोटा बच्चा भी इस पर बैठा है.
सदियों से चली आ रही है रस्म
यह रस्म हिन्दू शादियों में सदियों से चली आ रही है, और कहा जाता है कि रामायण और महाभारत भी इसे करते थे. लेकिन इसकी वजह बहुत कम लोग जानते हैं. जो लोग अपनी शादी में घोड़ी सवारी कर चुके हैं, वे भी इसके महत्व को नहीं समझते. ऐसे में, यदि आप भी दूल्हे के सफेद घोड़ी पर बैठकर शादी में आने को सिर्फ रॉयल्टी एंट्री का तरीका समझते हैं, तो यह लेख आपके लिए लेख है.घोड़ा अधिक क्रोधित होता है. प्रशिक्षण के बिना इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है. युद्धभूमि में दुश्मनों से लड़ने के लिए पुराने समय से इसका इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह तेज होता है.
अच्छी तरह से संभालता है बागडोर
क्योंकि शादी को बल नहीं बल्कि समर्पण चाहिए. यही कारण है कि दूल्हा आज घोड़े पर बैठकर आता है, न कि घोड़े पर, जो आज ज्यादा सुविधाजनक है. घोड़ी चढ़ने का संकेत है कि लड़का नया जीवन शुरू करने को तैयार है. यह साबित करने के लिए दूल्हे को घोड़ी पर बैठना पड़ता है कि वह अपने विवाह की बागडोर को अच्छी तरह से संभालता है.
करता है नए जीवन की शुरुआत
घोड़े की देखभाल की तुलना में घोड़े की देखभाल अधिक आसान होती है, लेकिन घोड़े की चतुराई, बुद्धि और क्षमता कम होती है. यही कारण है कि घोड़ी चढ़ने से लड़का को लगता है कि वह अपने बचपन की आदतों को त्याग दिया है और शादी की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ज्यादातर लोगों का मानना है कि सफेद घोड़ी शुद्धता, व्यावहारिकता, प्रेम, फर्टिलिटी, उदारता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है. लड़का इसलिए सफेद घोड़ी पर बैठता है जब वह विवाह करके अपने नए जीवन की शुरुआत करता है.