Moon Land Buy: 3 हजार रुपये प्रति एकड़ की कीमत से चाँद पर खरीद सकते है जमीन, यहाँ से जाने कहा से होगी रजिस्ट्री
नई दिल्ली :- आज कल हर तरफ Moon Land की चर्चा जोरो पर है. वास्तव में, भारत का चंद्रयान 3 चांद के बहुत करीब पहुंच चुका है और उतरने की तैयारी कर रहा है, जो चांद के कई रहस्यों को हल करेगा. इस बीच, बहुत से लोग चांद पर जमीन खरीदने के बारे में सोच रहे हैं. चांद पर जमीन खरीदने और बेचने के बारे में कई कंपनियां पहले सामने आ चुकी हैं, लेकिन क्या आप इसकी हकीकत जानते हैं?
किसी भी देश का अंतरिक्ष पर कोई अधिकार नहीं
ध्यान दें कि धरती पर मौजूद किसी भी देश का अंतरिक्ष पर कोई अधिकार नहीं है, न ही चांद, सितारे या अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं पर किसी देश का कोई अधिकार है. इसलिए अंतरिक्ष कानून भी बना हुआ है. “किसी एक देश के जरिए बाहरी अंतरिक्ष का गैर-विनियोग, हथियार नियंत्रण, अन्वेषण की स्वतंत्रता, अंतरिक्ष वस्तुओं से होने वाली क्षति के लिए दायित्व, अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और बचाव” अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून की पांच संधियों और समझौतों में से एक है
व्यक्ति चांद पर खरीद सकता है जमीन
ऐसे में चांद पर जमीन खरीद सकते हैं या नहीं, इसके बारे में बता दें कि अंतरिक्ष कानून चांद पर जमीन खरीदने को कानूनी तौर पर मान्य नहीं करता है. वहीं, कुछ कंपनियों का कहना है कि ये कानून नागरिकों को नहीं, बल्कि देशों को चांद पर अधिकार जताने से रोकते हैं. ऐसे में, उन कंपनियों का कहना है कि व्यक्ति चांद पर जमीन खरीद सकता है.
मालिकाना हक भी किसी के पास नहीं
कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चांद पर जमीन बेचने का दावा करने वाली कंपनी Luna Society International और International Lunar Lands Registry है. इनके माध्यम से कई लोगों ने चांद पर जमीन खरीद ली है. Lunarregistry.com के अनुसार चांद पर एक एकड़ जमीन की कीमत 37.50 डॉलर है, या लगभग 3,080 रुपये. चांद का मालिकाना हक भी किसी के पास नहीं है और नहीं मिल सकता.
3 हजार रुपये प्रति एकड़ की कीमत
दूसरी तरफ, डॉ. जिल स्टुअर्ट, जो स्पेस लॉ पर बहुत कुछ लिख चुके हैं, ने Moon Exhibition Book भी लिखी है. इस किताब में उन्होंने कहा कि चांद पर जमीन खरीदना और गिफ्ट करना अब एक फैशन ट्रेंड बन गया है. हालाँकि, किसी चांद पर मालिकाना हक न होने के कारण यह एक गोरखधंधा है और कई करोड़ों रुपये का कारोबार है. यह लगभग 3 हजार रुपये प्रति एकड़ की कीमत होने के कारण कोई भी इस पर विचार नहीं करता.