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अब आवारा गायों से मिलेगा छुटकारा, गौशाला कर पाएंगी ये नया बिजनेस

नई दिल्ली :- हाल ही के सालों में देश भर में गौशाला बनाने को लेकर एक जागरूकता देखी गई है अब नीति आयोग ने इन्हीं गौशालाओं की मदद के लिए एक खास प्लान तैयार किया है इसका फायदा किसानों और खेती बाड़ी को तो होगा ही साथ ही साथ आवारा पशुओं की दिक्कत भी दूर होगी.

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मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जहां देश भर में गौशालाओं की स्थापना को लेकर एक अलग तरह की जागरूकता देखी गई है वहीं दूसरी तरफ हाल ही में आवारा गायों और पशुओं की दिक्कत भी बढ़ती जा रही है. एक तरफ जहां गांव ही नहीं शहरी इलाकों में भी गौशालाओं का निर्माण हो रहा है वहीं दूसरी तरफ आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ सड़कों पर हादसों की वजह भी बन रहे हैं इसके लिए नीति आयोग ने एक तीर से दो निशाने लगाने वाला खास प्लान तैयार किया है यह देश भर में गौशालाओं की सूरत बदल देगा और उनके लिए नए बिजनेस करना भी आसान बनाएगा.

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में बनाई गई एक समिति ने गौशालाओं की वित्तीय मदद देने की सिफारिश भी की है साथ ही साथ गाय के गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों की मार्केटिंग करने का भी सुझाव दिया है जिसका उपयोग कृषि सेक्टर में किया जा सकता है.

गौशालाओं का हो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

समिति का प्रस्ताव है कि सभी गौशालाओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल स्थापित किया जाना चाहिए इसे नीति आयोग के दर्पण पोर्टल की तरह विकसित किया जा सकता है यह उन्हें पशु कल्याण बोर्ड की सहायता हासिल करने के योग्य भी बनाएगा.

आवारा गायों से मिलेगा छुटकारा

समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में गौशालाओं को आर्थिक मदद देने की बात कही है. इससे आवारा पशुओं की दिक्कत का कारगर समाधान होने की बात भी कही गई है. समिति का यह कहना है कि गौशालाओं को दी जाने वाली आर्थिक मदद को गायों की संख्या से जोड़ देना चाहिए वही आवारा व बचाई गई या बीमार गायों की स्थिति सुधारने पर भी जोर देना चाहिए.

रियायती ब्याज दरों पर करे फाइनेंस

गौशालाओं को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए. इसे कारोबार चलाने और मुनाफा कमाने में आने वाले अंतर के बराबर की वित्तीय मदद यानी कि वायबल गैप फंडिंग के रूप में उपलब्ध कराना चाहिए. गौशालाओं को पूंजी निवेश के लिए और वर्किंग कैपिटल के लिए रियायती दरों पर फाइनेंस करना चाहिए.

गोशालाए करें ये नए बिजनेस

गौशाला आर्थिक तौर पर सक्षम बने इसके लिए रुचि रखने वाली गौशालाओं को पूंजीगत मदद देनी चाहिए. ताकि वह गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों की मार्केटिंग कर सकें यह उत्पाद जैविक कृषि को बढ़ावा देने में भी कारगर साबित हो सकते हैं.

इन नीतिगत कदम से गौशालाएं को गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों का प्रोडक्शन ,पैकेजिंग, मार्केटिंग और वितरण करने में सहायता मिलेगी. वहीं प्राइवेट सेक्टर के निवेश से जैविक उर्वरक का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकेगा.

Monika Singh

हेलो दोस्तों मेरा नाम मोनिका है. मैं दिल्ली, द्वारका की रहने वाली हूँ. मैं खबरी राजा पर बतौर लेखक अपनी सेवाएं दे रही हूँ. मुझे आप तक सच पहुंचना सबसे अच्छा लगता है. मैं पूरी मेहनत और ईमानदारी से आप तक पूरी सच्चाई पहुँचती हूँ.

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