Parkash Singh Badal: नहीं रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, लंबे समय से चल रहे थे बीमार
चंडीगढ़, Parkash Singh Badal Passed Away :- पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने मंगलवार को हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर ली है. प्रकाश सिंह बादल 95 वर्ष के हो चुके थे. उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो रही थी. इस कारण उन्हें एक सप्ताह पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को श्री मुक्तसर साहिब के गांव बादल में हुआ था. गांव का सरपंच बनकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की नींव रखी थी.
पिछले साल से चल रहे थे बीमार
जानकारी के मुताबिक, पिछले साल जून 2022 में भी बादल के सीने में दर्द हुआ था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन कुछ समय बाद ही उनको ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन सितंबर 2022 में उनका स्वास्थ्य दोबारा खराब हो गया. जिस कारण उन्हें फिर से PGI में दाखिल करना पड़ा. लगभग 6 महीने के बाद ही उन्हें दोबारा अस्पताल में ले जाया गया. आप ये पोस्ट KhabriRaja.Com वेबसाइट पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है हमें कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं.
बादल को पदम भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
बता दे कि प्रकाश सिंह बादल ने अपना अंतिम चुनाव 2022 में लड़ा था. ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ था कि उन्हें राजनीति में हार का सामना करना पड़ा था. प्रकाश सिंह बादल अंतिम चुनाव के समय सबसे अधिक उम्र के चुनाव लड़ने वाले नेता बन गए थे. प्रकाश सिंह बादल ने 1947 से राजनीति में कदम रखा हुआ था. पहली बार उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और उसमें जीत हासिल कर सरपंच बने. इस समय उन्हें सबसे कम उम्र के सरपंच बनने का खिताब प्राप्त हुआ था. इसके साथ ही प्रकाश सिंह बादल को 30 मार्च 2015 को पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय कर चुके थे बादल
प्रकाश सिंह बादल द्वारा 1957 में सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा गया था. 1969 में उन्होंने दोबारा इस चुनाव में जीत हासिल की. 1969-1970 तक वह पंचायत राज, पशुपालन, डेयरी आदि विभागों के मंत्री पद पर आसीन रहे. इसके अलावा वह 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे. इसके अतिरिक्त इन्होंने 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता के रूप में भी भूमिका निभाई. सिर्फ इतना ही नहीं मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने सांसद में भी अपना परचम लहराया.